लबो की यह तमन्ना है ,
की लफ्जों में नहीं रुकना,
यह चाहत है लबो की अब
इन्हें युही नहीं थमना
की यह हकीक़त है सुनने में
लगेगा तुमको अफसाना
मोहब्बत में यूँ ठहरे है
लगे हर तरफ, विराना
यूँ चाहत में उनकी खोये
की हर महफ़िल से हुए रवाना ‘
लगे हर बेरंग सी मेहफिल में
सजने लगे कोई तराना
हमे महसूस करना है
यह मन, क्यूँ बहकता है
की हर साज़ में यह दिल
जाने क्यूँ महकता है
यह मोहब्बत है इबादत है
या कोई और अफ़साना
बिना सोचे या समझे ही
नहीं बनता कोई तराना