न चाहत जगाओ अब सोने दो मुझे
इस चाहत में बिगड़े थे सपनो के किले
ना फैसला किया न सोचा यह दिल
बस बनाता गया मुझे उनके काबिल
जो टूटे इस कदर रिश्तों भरे वादे
ना मैं समझी ना मेरी वफ़ा
यू बीच मझदार छोड़ मुझे जब चल दिए,
तब आकर किसीने मेरा हाथ थामा
हैरान थी मैं यह सोच-सोच कर,
क्या मुस्कुरा पाऊँगी कभी इन आंसूओ को पोछकर
कैसे सबकुछ मेरा तुमने बाँट लिया,
हर दुःख भरा लम्हा मेरा तुमने छाँट लिया
मेरे दुःख के हर लम्हे को दिया तुमने तोड़
सब दे दिया इस चाह्त से भी आगे बड़के,
अपनी दुनिया में बसाने, इस समाज से लड़के
जाने किन तुफानो में हो जाती मैं गुम
इस भीड़ में आकर नज़रो से तुमने संभाला,
नज़रो से ही पहनाई मैंने मिलन की वरमाला
जो तुम न होते, तो क्या मैं होती
और जो ना होते, तो क्या सपने संजोती,
बस इस चाह्त भरे ख्वाब को खुली आँखों से देखती,
सच हो सब सपने, मेरे दिल की हर आवाज़ कहती
कोई बंधन अब इतना नहीं मूल्यवान,
ना साथ रहने में ही लिखे सब समाधान
हर जनम का साथी वो सिर्फ मेरा है,
साथ उसके ही जीवन का हर सवेरा है
अब तो डर भी नहीं, ना बंदिश कोई,
चाहतो के प्यार भरे साये में, मैं खोयी
जो तुम हो तो सब कुछ है पास,
जो तुम न हो ,तो न हो कोई आस
हर जीवन के पल में रहे साथ तुम्हारा,
इस नदी की लहरों को मिले किनारा
येही बात और येही जज़्बात,
जोड़े हमे हमेशा एकसाथ
मेरे प्यारे सनम मेरे भोले सनम
तुमको देती मैं आज प्यार की कसम
कि साथ निभाने का दे दो मुझे वचन
bahut sundar bhavana hai, bahut accha laga padh ke
thank you so much for appreciating and liking my true story in form of this poem.
oh yeh mujhe pata hi nahi tha sir
main Mumbai se hoo aap kaha se hai sir
दरिया सी बहती हुई नज़्म…
thank you rajeev ji and i liked the way you put appreciation in form of verse.
thank you Ajay ji, and i admire the way you communicate with great respect and regard and please let me correct you that am not ‘sir’ actually and you can address me by my name ie shilpi
Your words touched me….u potrayed beautifully about true love. I love it…
Thank you so much Rachna for liking my poem
Regards